अभी प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका के राजकीय दौरे पर गए हुए हैं ,भारत और अमेरिका के संबंध अभी तक के सबसे अच्छे दौर में हैं अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बिजनेसमैन और वहां के बुद्धिजीवी लोगों से मिलेंगे अपने इस राजकीय दौरे पर वह गुरुवार को वहां के संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे गुरुवार की रात को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन उनके सम्मान में रात्रि भोज का आयोजन करेंगे । इस दौरे पर हथियारों के सौदे की बात हो सकती है भारत अमेरिका से उसके उन्नत ड्रोन का सौदा तय कर सकता है
भारत दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा खरीददार है और वह सबसे ज्यादा हथियार रूस से आयात करता है स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक 2017 तक भारत अपने कुल हथियार आयात का लगभग 60% हिस्सा रूस से खरीदा था जो अब घटकर 45% तक रह गया है हथियार के मामले में अब भारत रूस से शिफ्ट होकर यूरोपीय देश और अमेरिका की तरफ जा रहा है |
रूस की चिंता !
यूक्रेन से लड़ाई शुरू होने के बाद से ही अमेरिका और यूरोपीय देश भारत पर दबाव बना रहे हैं कि वह रूस के खिलाफ कड़ा रुख अपनाएं उससे हथियार तथा तेल लेना कम करें|अब देखना यह होगा कि क्या भारत अमेरिका से अपने संबंध रूस की कीमत पर आगे बढ़ाएगा या रूस उसका पुराना दोस्त बना रहेगा इसके साथ ही चीन से भारत के तनाव को देखते हुए अमेरिका किस हद तक भारत के साथ खड़ा रहेगा इस पर भी भारत और रूस एवं भारत और अमेरिका का संबंध निर्भर करेगा |
विशेषज्ञों के अनुसार रूस यूक्रेन युद्ध के शुरू होने से भारत पर पश्चिमी देशों का दबाव तो निश्चित तौर पर है इस युद्ध के कारण भारत अपने रक्षा सौदों को रूस के साथ आगे नहीं बढ़ा पा रहा हैं और यह रूस के लिए भी चिंता का विषय है |
चाइनीज एंगल
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के साथ ही रूस चीन पर लगातार निर्भर होता जा रहा है चीन ने कई मौकों पर उसका साथ दिया है जिसके कारण दोनों देशों के बीच संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं और चीन के बढ़ते असर को दक्षिण एशिया में रोकने के लिए भारत को अमेरिका की जरूरत पड़ सकती है |
रूस क्या कर सकता है ?
रूस के पास एक ही तरीका है जिससे वह भारत के साथ अपने संबंध पुराने जैसे बना कर रख सकता है अगर रूस चीन को समझा सके कि वह भारत के प्रति अपने आक्रामक रुख में नरमी लाए तब तो यह बात भारत के लिए फायदे वाली हो सकती है वरना जिस तरह के हालात हैं इसमें रूस के पास ज्यादा विकल्प है नहीं वह भारत की तुलना में कहीं ज्यादा दबाव में है |
भारत और अमेरिका को एक दूसरे की जरूरत है !
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर जा रहे थे तो उस समय वहां के कई मानव अधिकार संगठन के लोगों ने अमेरिकी सरकार से भारत के ऊपर हाल में हुई कई घटनाओं को लेकर दबाव बनाने के लिए कहा था लेकिन चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए अमेरिका भारत के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने का मन बना चुका है उसने इन सब मामलों में दखल देना ही बंद कर दिया है क्योंकि एशिया और खास तौर पर दक्षिण एशिया अमेरिका की विदेश नीति में बहुत अहम हो गया है |
दोस्ती भारत के हिसाब से ….
कई विशेषज्ञों का मानना है कि जिस तरीके से विस्तार वादी नीति के बल पर अपने पड़ोसियों पर धाक जमाने की कोशिश कर रहा है तथा जिस तरीके से वह अपने शक्ति का प्रदर्शन कर रहा है यह सबके लिए चिंता की बात है वहीं भारत सबको साथ लेकर बढ़ने की बात करता है सैन्य शक्ति हो या तकनीक हो या संस्कृति क्षेत्र भारत दुनिया के देशों में अपना अहम स्थान बना चुका है|
एक तरफ जहां भारत रूस के खिलाफ प्रस्ताव में वोटिंग ना करके यह बताता है कि वह रूस का दोस्त है वही भारत यह बताने से भी नहीं चूकता कि यह युद्ध का दौर नहीं है शांति का दौर है और शांति से ही विकास संभव है |
भारत का रुख साफ है कि जहां देश हित की बात आएगी वह सभी के साथ खड़ा है अब यह देखना दिलचस्प होगा कि रूस इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है क्योंकि आने वाला समय रूस के लिए आसान नहीं होने वाला है |
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